Paryavaran Pradushan Per Nibandh: इस पोस्ट में हम बात करेंगे पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (paryavaran pradushan per nibandh hindi mein) के बारे में। आज हम बात करेंगे पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ क्या है (Paryavaran Pradushan ka arth), पर्यावरण प्रदूषण के कारण क्या है (Paryavaran Pradushan ke karan), पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या है (Paryavaran Pradushan ke prakar) तथा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय क्या है (Paryavaran Pradushan rokne ke upay)?
जब हमारे जीवन में वायु, जल, मुद्रा आदि से निकले अवांछनीय तत्व मिलकर हमारे स्वास्थ्य पर गंदा असद डालने लगते हैं तो उसे हम प्रदूषण (paryavaran pradushan per nibandh) कहते हैं। प्रदूषण का हमारे जीवन में बहुत ही बड़ा प्रभाव है क्योंकि हमारे जीवन में उन प्रमुख विषयों में से प्रदूषण (paryavaran pradushan per nibandh likhen) एक है।
वह इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से हमारे स्वास्थ्य तथा हमारे जीवन को प्रभावित कर रही है। ज्यादातर छात्राओं तथा छात्र से जब असाइनमेंट के तौर पर परीक्षाओं में पूछा जाता है पर्यावरण प्रदूषण (paryavaran pradushan per nibandh likhiye) पर लेख लिखिए तब वह काफी चिंतित हो जाते हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है तो चलिए आज के इस पोस्ट में हम इस बारे में खुलकर बात करते हैं।
Paryavaran Pradushan Per Nibandh|पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
Paryavaran Pradushan per nibandh: हमारी पृथ्वी पर तथा हमारे इस दुनिया में जो सबसे अनमोल और बेशकीमती चीज है वह है हमारा पर्यावरण तथा हमारे आसपास की चीजें। आप सबको तो पता ही है कि भगवान और कुदरत ने मिलकर हमारे (paryavaran pradushan par nibandh) पर्यावरण (Environment) और प्रकृति (Nature) को इस ढंग से तैयार किया है कि इसका अनुमान लगाना किसी भी मनुष्य के लिए संभव नहीं है।
हम मनुष्य के ऊपर प्रकृति का जो एहसान है उसे तो हम कभी चुका नहीं पाएंगे लेकिन प्रकृति से जो कुछ भी हमें हासिल हुआ है उसमें से कुछ अंश अगर हम प्रकृति को लौट सके तो यह हमारा बड़ा ही सौभाग्य होगा। हम कुछ लौटा तो नहीं सकते परंतु प्रकृति और (paryavaran pradushan nibandh) पर्यावरण (Nature & Environment) की रक्षा कर सकते हैं जिसकी आज हमारे पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जरूरत है।
आज के हमारे इस पोस्ट के जरिए आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (paryavaran pradushan ka nibandh) हिंदी में, पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ (Paryavaran Pradushan ka arth), पर्यावरण प्रदूषण क्या है (paryavaran pradushan kya hai), पर्यावरण प्रदूषण के कारण क्या है (Paryavaran Pradushan ke karan), पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या है (Paryavaran Pradushan ke prakar) तथा पर्यावरण प्रदूषण के रोकने के उपाय क्या है (Paryavaran Pradushan rokne ke upay) इस बारे में जानेंगे।
आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Paryavaran Pradushan Per Nibandh Hindi mein) की सहायता से स्कूल और कॉलेज में होने वाले प्रदूषण (paryavaran pradushan essay in hindi) प्रतियोगिता में भी भाग ले सकते हैं बस इतना ही नहीं आप पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh btaiye) पर एक अच्छा लेख भी बिना याद किए लिख सकते हैं।
Paryavaran Pradushan Kya Hai| पर्यावरण प्रदूषण क्या है?
Paryavaran Pradushan kya hai: चलिए जानते है पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं (paryavaran pradushan kise kahate hain), पर्यावरण प्रदूषण क्या है (Paryavaran Pradushan kya hai), पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं (Paryavaran Pradushan se aap kya samajhte hain) तथा पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ क्या है (Paryavaran Pradushan ka arth)?
पर्यावरण प्रदूषण (nibandh paryavaran pradushan) उस स्थिति को कहते हैं जब हमारे द्वारा की गई अलग-अलग गतिविधियों से निकली हुई वायु या सामग्री पर्यावरण (Paryavaran Pradushan nibandh) में जाकर मिल जाती है। यह प्रदूषण हमारी दिनचर्या की प्रक्रिया को बहुत ही नकारात्मकता पहुंचाती है यही वजह है कि हमारे पर्यावरण में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। जो भी चीज या वस्तु या वायु हमारे पर्यावरण में प्रदूषण (Essay On Environmental Pollution In Hindi) फैलाने का काम करते हैं उन्हें प्रदूषक तत्व कहा जाता है।
यह प्रदूषण (paryavaran pradushan se aap kya samajhte hain) फैलाने वाले तत्व प्रकृति में होने वाले पदार्थ से भी होते हैं और मानव द्वारा की गई बाहरी गतिविधियों से भी बढ़ते रहते हैं। यह हमारे प्रदूषक तत्व जो हमारे पर्यावरण (Paryavaran Pradushan kya hai) में ऊर्जा की कमी के रूप में भी मिल सकता हैं। हमने आयु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि कई अलग-अलग प्रदूषण के प्रकार बताएँ हैं।
Paryavaran Pradushan Ke Karan|पर्यावरण प्रदूषण के कारण
Paryavaran Pradushan ke karan: हमें हमारे प्राकृतिक की तरफ से जीवन यापन के लिए, हमारे विकास की गति को बढ़ाने के लिए तथा हमारे स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए बहुत से प्राकृतिक संसाधन मुफ्त में मिले हुए हैं। परंतु आजकल सारे मनुष्य इतने स्वार्थी और लालची हो गए हैं कि उन्हें (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) पर्यावरण को प्रदूषित करके उसे नष्ट करने में थोड़ा भी संकोच नहीं होता। मनुष्य एक बार भी नहीं सोचते कि हमारा पर्यावरण (Paryavaran Pradushan nibandh) पूरी तरीके से प्रदूषित हो जाएगा।
हम सारे मनुष्य को यह सोचना चाहिए कि हमारे आने वाले समय में हमें और हमारे आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य के साथ क्या बदलाव होगा और उन्हें भविष्य में किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। भविष्य में ऐसा समय आएगा जब हम सभी के पास पृथ्वी पर स्वस्थ्य तथा जिंदा रहने के लिए कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेगा। हमें हमारे पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Paryavaran Pradushan ke karan) को गंभीरता से समझना चाहिए और जल्दी से जल्दी इन कारणों को भी दूर करना चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Paryavaran Pradushan ke karan) इस प्रकार है:
कृषि अपशिष्ट
कल-कारखाने
बांधो का निर्माण
सड़को का निर्माण
जीवाश्म ईधन दहन
जनसंख्या अतिवृद्धि
खनिज पदार्थों क दोहन
वाहन का ज़्यादा इस्तेमाल
वृक्षों को अंधा-धुंध काटना
प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना
वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग
औद्योगिक गतिविधियों का तेज होगा
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होना
तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण का बढ़ना
Paryavaran Pradushan Ke Prakar| पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Paryavaran Pradushan ke karan) के बारें में हमने आपको बताया अब जानते हैं पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Paryavaran Pradushan ke prakar) के बारें मेंः
वायु प्रदूषण (Air Pollution)
वायु प्रदूषण को पैदा करने वाले पदार्थ है जीवाश्य ईधन, कोयला, लकड़ी, खनिज तेल, पेट्रोल, कल-कारखानें, वाहन तथा धुआं। इनको बढ़ाने के पीछे कारण है वायुमंडल में जहरीले कार्बन डाईआक्साइड, सल्फर हाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सीसा आदि। इसकी वजह से हमारी भूमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है। सांस तथा गले की बीमारी, अम्लीय वर्षा, ओजोन परत मे कमी, जीव-जंतुओं की असमय मृत्यु होना सब वायु प्रदूषण के ही दुष्परिणाम है।
जल प्रदूषण (Water Pollution)
अगर हम जल प्रदूषण की बात करें तो जल में अनेक प्रकार के खनिज, कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसों के अनुपात से अधिक और अनावश्यक हानिकारक पदार्थ हमेशा घुले रहने से जल प्रदूषित हो जाता है। यह प्रदूषित (Paryavaran Pradushan par nibandh) जल जीवन में विभिन्न प्रकार के रोग को उत्पन्न करते हैं तथा उन्हें नई बीमारी का सामना करना पड़ता है।
जल प्रदूषण में तरह-तरह के रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु, वायरस, कीटाणुनाशक पदार्थ, अपतॄणनाशी पदार्थ, रासायनिक खादें, अन्य कार्बनिक पदार्थ, औद्योगिक संस्थानों से निकले अनावश्यक पदार्थ, बाहित मल आदि और भी कई पदार्थ हो सकते हैं। इन पदार्थों का स्वास्थ्य पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
ध्वनि प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) उत्पन्न करने के विभिन्न प्रकार के कारण है जैसे यन्त्रों, वाहनों, मशीनों जिनसे उत्पन्न होती है लाउडस्पीकर, साइरन, बाजे, मोटरकार, बस, ट्रक तथा वायुयान आदि। ध्वनि से निकली हुई प्रदूषण जीवो की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं को बहुत प्रभावित करती है।
इससे श्रवण शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है, नींद ना आने का रोग हो सकता है, तन्त्रिका तन्त्र सम्बन्धी रोग हो सकते हैं तथा रक्तचाप बढ़कर हृदय रोग हो सकता है। कुछ प्रकार की ध्वनि ऐसी होती है जो छोटे-छोटे जीवों को नष्ट कर देती है और इससे जैव अपघटन क्रिया में भी बाधा आने लगती है।
भूमि प्रदूषण (Land Pollution)
भूमि प्रदूषण भी प्रदूषण का ही प्रकार है इससे रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का उपयोग करना शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का हानिकारक पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से ज्यादा भूमि प्रदूषण होता है। भूमि प्रदूषण के प्रभाव से मृदा उपजाऊ नहीं हो पाती है, कृषि का उत्पादन घट भी जाता है और फसल में खनिज एवं पोषक तत्वों की मात्रा भी घट जाती है।
रेडियोऐक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)
रेडियोएक्टिव प्रदूषण का नाम तो आपने सुना ही होगा यह प्रदूषण रेडियोऐक्टिव पदार्थों के उपयोग से रेडियोएक्टिव किरणों का विकिरण होता है। अणु, बम, परमाणु बम आदि के विस्फोट से भी हानिकारक रेडियोएक्टिव किरणें पैदा हो जाती है जिनकी वजह से वातावरण (Paryavaran par nibandh) काफी प्रदूषित हो जाता है। रेडियोऐक्टिव किरणों के ज्यादा विकिरण से त्वचा रोग, कैंसर, गुणसूत्रों का दुष्प्रभाव, विकलांगता आदि का काफी प्रभाव पैदा हो जाता है।
Paryavaran Pradushan Ka Arth| पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ
चलिए पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ (Paryavaran Pradushan ka arth) जानते हैं पर्यावरण क्या है जिसमें मनुष्य सहित सभी जीव रहते हैं यह एक विशाल पारिस्थितिक तंत्र है। पर्यावरण के अनेक घटक है और इन सभी घटकों के ही कारण तथा क्रिया प्रतिक्रियाओं के कारण ही संतुलन बना रहता है और जीव जंतु अपना जीवन चक्र पूरा करते रहते हैं। परंतु अगर यह संतुलन बिगड़ जाए तो जीवो को अपना जीवन चक्र चलाने में बहुत ही कठिनाई होने लगती है।
किसी भी घटक को कम या अधिक कर देना तथा किसी अन्य प्रकार (Paryavaran Pradushan ke prakar) के पदार्थ का वातावरण में प्रवेश पर्यावरण के संतुलन को काफी ज्यादा बिगाड़ देता है, इसे ही पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) कहते हैं। हमारे जीवन में किसी भी प्रकार के भौतिक परिवर्तन, रासायनिक परिवर्तन या अन्य किसी भी प्रकार के परिवर्तन की जीवों के जीवन क्रम में किसी प्रकार के अवांछनीय परिवर्तन करते हैं उसे प्रदूषण का ही भाग कहते हैं। पर्यावरण का अगर हम कोई नाम दे तो वह एक ब्रह्म शक्ति हैजो हमें काफी ज्यादा प्रभावित करती है।
Paryavaran Pradushan Per Anuchchhed| पर्यावरण प्रदूषण पर अनुच्छेद
पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan per anuchchhed) के हमारे पर्यावरण में हानिकारक और जहरीले पदार्थ की उपस्थित होती है और उसे संदर्भित करता है। पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) न केवल वायु प्रदूषण तक सीमित है बल्कि इसकी वजह से जल निकायों, मिट्टी, जंगलों, जलीय जीवन और सभी भूमि जीवित प्रजातियों को भी काफी हद तक प्रभावित करता है। पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan per anuchchhed) के लिए सबसे ज्यादा मनुष्य ही दोषी है क्योंकि यह मानव के द्वारा ही उत्पन्न होता है।
मनुष्य अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए तथा अपने निवास स्थान को और बढ़ाने के लिए पर्यावरण के साथ हमेशा छेड़खानी करता रहता है। मनुष्यों के द्वारा ही ऑटोमोबाइल का आविष्कार हुआ है,उनके द्वारा ही कारखानों की स्थापना हुई है, इतना ही नहीं सड़कों और शहरों के लिए रास्ता बनाने के लिए जंगलों को काट दिया जाता है कोई भी मनुष्य पर्यावरणीय स्वास्थ्य से समझौता करने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
जगह-जगह पर कूड़ेदान फेक रहते हैं जिनकी वजह से हमारे जल हमारे वायु काफी ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं तथा प्रदूषण भी हो जाते हैं। जल और वायु के प्रदूषित होने से मनुष्य तथा जीवों की प्रजातियां की जीवन में खतरा बढ़ गया है तथा उन्हें कई बीमारियां भी हो सकती हैं। आप सबको पता है कि आजकल वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा आम प्रदूषण है लेकिन बस वायु प्रदूषण ही दोषी नहीं है। वायु प्रदूषण के अलावा भी कई प्रकार के प्रदूषण (Paryavaran Pradushan ke prakar) है जो मनुष्य द्वारा बढ़ते हैं।
कई मनुष्य जल तथा मिट्टी को काफी प्रदूषित कर देते हैं उन्हें बिल्कुल ध्यान नहीं रहता कि कूड़ा-कचरा कहां फेंकना चाहिए जिसकी वजह से हमारा प्राकृतिक संसाधन खराब हो जाता है। अनजाने औद्योगीकरण की वजह से वायु और जल प्रदूषण को बढ़ावा दिया गया है जिसकी वजह से पर्यावरणीय (Essay On Environmental Pollution In Hindi) स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता आ रहा है। हमारे जीवन में उद्योगों को संचालित करने के लिए अच्छी मात्रा में पानी की जरूरत होती है और इसके लिए प्राकृतिक की तरफ से उत्पन्न होने वाली धारा नदी या जल निकाय के निकटता में स्थापित होते हैं।
Paryavaran Pradushan Per Chitra| पर्यावरण प्रदूषण पर चित्र
पर्यावरण प्रदूषण का चित्र (Paryavaran Pradushan per chitra) हमारे वर्तमान समय में बढ़ता हुआ चला जा रहा है जिसकी वजह से मनुष्य को तथा जीवो को काफी बड़ी समस्या हो रही है। इस समस्या को रोकने के लिए पूरा विश्व चिंतित है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण (Paryavaran Pradushan ka chitra) में रह रहा है वह हर दिन खराब ही होता जा रहा है। आजकल कहीं बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है तो कहीं बहुत ही ज्यादा सर्दी बस इतना ही नहीं जितने भी जीवधारी को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है वह प्रदूषण के ही कारण हो रहा है।
प्रकृति और उसका पर्यावरण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) हमेशा अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्धक होता है लेकिन अगर आजकल की बात करें तो प्रदूषण के कारण (Paryavaran Pradushan ke karan) बस वह बहुत ही ज्यादा प्रदूषित हो गया है। पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए यह विभिन्न प्रकार की समस्याएं हर दिन उत्पन्न कर रहा है जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हो रहा है वैसे-वैसे ही पर्यावरण में प्रदूषण (Paryavaran Pradushan per chitra) की मात्रा भी बढ़ती ही चली जा रही है।
इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनके जीवन शैली काफी ही हद तक जिम्मेदार भी है। हमारे सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने ना कई नए आविष्कार किए हैं बल्कि औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की प्रवृत्ति भी बढ़ाई है। जनसंख्या के बढ़ाने की वजह से मनुष्य हर दिन वनों की कटाई करते हैं खेती वाले जगह पर घर या जमीन बनाते हैं कई जगह तो खेतों पर कब्जा भी कर लिया जाता है। खाद्य पदार्थों की पूर्ति करने के लिए रासायनिक करो का भी उपयोग किया जा रहा है जिससे न केवल भूमि बल्कि हमारा पूरा जल भी प्रदूषित होता चला जा रहा है।
अगर हम गाड़ी की बात करें तो यातायात के विभिन्न नवीन साधनों के प्रयोग से हमारे जीवन में ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ते ही चले जा रहे हैं। अगर हम ध्यान से सोच या ज्यादा ध्यान दे तो हमें पता चलेगा की प्रदूषण (Paryavaran Pradushan ka Chitra) वृद्धि का मुख्य कारण मनुष्य की अवांछित गतिविधियों ही है जिसकी वजह से प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन होता है और इसकी वजह से पृथ्वी को कूड़े-कचरे का ढेर भी बना दिया गया है। मनुष्यों के कूड़ा कचरा इधर-उधर फेंकने की वजह से जल,वायु और भूमि प्रदूषित (Paryavaran Pradushan nibandh) हो रहे हैं जो की संपूर्ण प्राणी-जगत के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।
Paryavaran Pradushan Per Lekh| पर्यावरण प्रदूषण पर लेख
पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan per lekh) हमारे चारों ओर के वातावरण को हमेशा दूषित करता रहता है। प्रदूषण की इस समस्या को सिर्फ हमारा भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व झेल रहा है। प्रदूषण (Paryavaran Pradushan per asse) की समस्या जो हमारे संसार में बढ़ रही है वह किसी न किसी रूप से प्रदूषित होती ही जा रही है। हमारे संसार में हवा, पानी, मिट्टी, फल, सब्जियां, अनाज आदि चीजें लगातार प्रदूषित होती ही जा रही है।
इन सभी प्रदूषण के बढ़ने का कारण है हमारे संसार में बढ़ती हुई जनसंख्या और लगातार बढ़ती हुई फैक्ट्रियां क्योंकि जो बड़े-बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां बड़ी मात्रा में बन रही है और जहरीली गैस में हवा छोड़ती है वही वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। इस वायु प्रदूषण की वजह से हजारों लाखों लोगों को सांस लेने में समस्या बढ़ती जा रही है।
यही वजह है कि सरकार अब उद्योग धंधों से निकलने वाले काले धुएं और गंदे पानी पर लगातार रोक लगाती जा रही है इतना ही नहीं वह नदी तालाबों को स्वच्छ भी करवा रही है। हम सारे मनुष्यों का भी यह कर्तव्य है कि पर्यावरण (Paryavaran Pradushan per lekh) के इस अमूल्य धरोहर को हम बचाने की कोशिश करें। हमें प्लास्टिक का उपयोग बिलकुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक पर्यावरण में प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) फैलता है आर्य प्रदूषण तभी रुक सकता है जब आप सभी इस बात को अपने मन में ठान लें कि हमें प्रदूषण को दूर करना है।
Paryavaran Pradushan Rokne Ke Upay|पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय
पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan rokne ke upay) की सुरक्षा से ही हम प्रदूषण की समस्या को सुधार सकते हैं। पर्यावरण शब्द दो शब्दों के मेल से बना है परि और आवरण। जिसमें से परी का अर्थ है बाहरी तथा आवरण का अर्थ है कवच यानी कि पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है बाहरी कवच क्योंकि हानिकारक तत्वों से वातावरण की रक्षा करता रहता है। अगर हम मनुष्य पर्यावरण को ही असुरक्षित कर दे तो हमारी रक्षा करेगा कौन?
इस समस्या पर अगर हम ध्यान से नहीं सोचेंगे तो प्रकृति संतुलन स्थापित करने के लिए स्वयं कोई भयंकर कदम उठाएगी जो हमारे लिए नुकसानदायक होगा और मनुष्यों को प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) का भयंकर परिणाम भुगतना ही पड़ेगा। प्रदूषण से बचने के लिए हमें जगह-जगह पर पेड़ लगाने चाहिए तथा प्रकृति में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करने से भी बचना चाहिए। यह याद रखना चाहिए की प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल न करें और कूड़े- कचरे को इधर-उधर भी ना फेकें।
बारिश से हो रहे जल को संचय करके हम भूमिगत जल को संरक्षित करने का प्रयास (Essay On Environmental Pollution In Hindi) कर सकते हैं। पेट्रोल, डीजल, बिजली के अलावा हमें ऊर्जा के अन्य स्रोतों से भी ऊर्जा के विकल्प ढूंढने चाहिए। हम मनुष्यों को सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का प्रयोग पर भी बल देना चाहिए। बिना उपयोग की चीजें तथा अनावश्यक ध्वनियों पर भी रोक लगानी होगी तथा तकनीक के क्षेत्र में हमेशा नए-नए प्रयोग व परीक्षण हो रहे हैं।
हमें हमेशा ऐसी तकनीक का विकास करना चाहिए जिससे यातायात के साधनों द्वारा प्रदूषण कभी भी ना फैले। सबसे जरूरी बात यह है कि हम मनुष्य को अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। हमें निस्वार्थ होकर पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए (Paryavaran Pradushan rokne ke upay) काम करना चाहिए। हमेशा हमें मन में यह याद रखना चाहिए कि हम स्वयं अपने आपको, अपने परिवार को तथा देश को इस पृथ्वी पर सुरक्षित कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आज भी हमारे दुनिया में कहीं ना कहीं सुदामा और स्वच्छ बहता हुआ पानी मौजूद है परंतु मनुष्य उसकी कदर करना भूलते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan Per Nibandh) का मनुष्य के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है जिन वैज्ञानिकों ने अपना जीवन पर्यावरण (Paryavaran Pradushan kya hai) की रक्षा करने में समर्पित कर दिया है।
वही हमें समझाते हैं कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए शुद्धता को हमेशा बचना चाहिए। हम मनुष्य को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिसकी वजह से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने या वातावरण प्रदूषित होने का कारण हम बनें। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शहरों का प्रदूषण (Essay On Environmental Pollution In Hindi) गांव तक ना पहले जिससे गांव हमेशा पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan nibandh) से मुक्त रहे।