Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui: हेलो! आज किस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि औरंगजेब की मृत्यु कब हुई थी (Aurangzeb ki mrityu kab hui thi), औरंगजेब की पत्नी का क्या नाम था (Aurangzeb Ki Patni Ka Naam), औरंगजेब की आखिरी रात कैसी थी (Aurangzeb ki aakhri raat), औरंगजेब की कहानी क्या थी (Aurangzeb ki kahani), औरंगजेब की मृत्यु कैसे हुई थी (Aurangzeb ki mrityu kaise hui) तथा औरंगज़ेब की मृत्यु कहां हुई थी (Aurangzeb Ki Mrutyu Kahan Hui Thi)। तो चलिए बिना समय गवाए आपको बताते हैं।
औरंगजेब (Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui) भारत पर राज करने वाला छठ मुगल बादशाह था। उसने अपनी क्रूरता और कट्टरता की वजह से अलग पहचान बनाई हुई थी। इतिहास के हर पन्ने में औरंगजेब की क्रूरता के किस्से हैं। औरंगजेब (Aurangzeb ki mrityu) ने अपने सत्ता पर कब्जा करने के लिए क्या कुछ नहीं करवाया उसने अपने बूढ़े पिता को बंदी बना लिया, भाई को मरवा दिया, अपने बेटे को जहर दे दी।
बस इतना ही नहीं औरंगजेब ने मुसलमान के साथ मिलकर कई सारे जुल्म किया उसने हिंदुओं के कई सैकड़ो मंदिर तुड़वा दिए। जब तक औरंगजेब शासन में रहा तब तक उसके विद्रोह में कई सारे जंग हुए थे। चलिए आगे जानते हैं कि औरंगजेब जैसे क्रूर शासक की मृत्यु कब और कहां हुई थी (Aurangzeb ki mrityu kab hui thi)।
Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui | मुग़ल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु कब हुई थी
Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui: औरंगजेब, जिसे कौन नहीं जानता वह मुगल शासक का था। उसका पूरा नाम ‘अब्दुल मुजफ्फर मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब’ था। उसका जन्म 3 नवंबर 1618 ई को गुजरात की दाहोद में हुआ था। औरंगजेब (Aurangzeb ki mrityu kab hui thi) के पूर्वज शाहजहां और मुमताज महल थे वह उनकी 14 संतानों में से छठवें संतान थे। जब औरंगजेब के पिता की मृत्यु हो गई तब वह मुगल साम्राज्य की सत्ता संभालने में लग गया।
वह जब शासन में था तब वह सबसे शक्तिशाली और धनी शासक था। लोगों का कहना है कि 50 वर्षों तक शासन करने के बाद मुगल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली सम्राट औरंगजेब की मृत्यु (Aurangzeb ki mrityu) हो गई। उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 ई को हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि बुंदेलखंड के वीर छत्रसाल ने एक युद्ध में औरंगजेब की हत्या (Aurangzeb ko kisne mara tha) कर दी थी।
Aurangzeb Ki Patni Ka Naam | औरंगजेब की पत्नी का नाम क्या था
Aurangzeb Ki Patni Ka Naam: मुगल बादशाह औरंगजेब की तीन पत्नियां थी। पहली पत्नी का नाम (Aurangzeb ki patni ka naam kya tha) दिलराज बानो था, दूसरी पत्नी का नाम नवाब बाई और तीसरी पत्नी का नाम (Aurangzeb ki patni ka kya naam tha) हीराबाई था। औरंगजेब की दो पत्नियां हिंदू थी। ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब को हीराबाई से इतना प्यार था कि वह उनके साथ ही मरना चाहता था। परंतु ऐसा हो ना सका क्योंकि हीराबाई की मौत औरंगजेब के मरने से पहले ही हो गई।
ऐसा कहा जाता है कि हीराबाई कश्मीरी हिंदू थी जिसे बहुत ही कम उम्र में उसके माता-पिता ने बेच दिया था। हीराबाई को अमीर खलील नामक एक व्यक्ति ने खरीदा था और उन्हें दासी बना कर रखा था। मीराबाई अमीर खलील के लिए नाचती और गाती थी। हर कोई हीराबाई का दीवाना था और ठीक ऐसा ही औरंगजेब (Aurangzeb Ki Patni Ka Naam) के साथ भी हुआ जब उसने हीराबाई को देखा तब उसे पहली नजर में ही प्यार हो गया और फिर हीराबाई को अपने दरबार लेकर आ गया था।
Aurangzeb Ki Aakhri Raat | औरंगजेब की आखिरी रात
Aurangzeb Ki Aakhri Raat: औरंगजेब मुगल इतिहास का वह आखरी हीरा है जो अपनी पूरी जीवन में अपने बुरे कर्मों की वजह से चमकता रहता था। जब औरंगजेब की मृत्यु हुई (Aurangzeb ki mrityu kaise hui thi) तो हर किसी के जीवन से क्लेश और निराशा मिट गया। उसने अपने जीवन के पूरे साल बुरे कर्मों में ही बिताए थे फिर अपनी आखिरी सांस ली थी। उसकी इच्छा थी कि वह दक्षिण सर कर, शिवाजी और मरहठों को मार कर इस्लाम का झंडा पूरे हिंदुस्तान में फहराए पर अफसोस उसकी यह इच्छा पूरी ना हो सकी और वह चल बसा।
औरंगजेब इतना कट्टर धार्मिक था कि उसने बीजापुर-गोलकुंडा जैसी मुस्लिम रियासतों को भी अपने कब्जे में कर लिया था परंतु वह मराठों के सामने टिक ना सका। पूरे राज्य में उसकी दुर्व्यवस्था फैल गई और वह वृद्धि भी हो चला था, पहले जैसी ताकत अब उसके शरीर में नहीं बची थी। आलमगीर बनने का उसका सपना निराशा में बदलता चला गया। उसकी निराशाएं उसकी चिंताएं उसे एक पल की भी शांत नहीं रहने देती थी।
जब वह बहुत ज्यादा हताश हो गया तब वह अहमद नगर लौट आया। वह दिल्ली जाना चाहता था परंतु उसके शरीर ने उसका साथ नहीं दिया मजबूरी में उसे अहमदनगर के किले में ही रहना पड़ा वह बीमार पड़ा हुआ था। पूरी तरह से उसकी शरीर टूट चुकी थी, खांसी से ग्रस्त हो गया था उसे समय उसकी उम्र 89 वर्ष (Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui) थी। उसके मौत के पास उसके करीब बस उसकी एक बेटी जीनत उन्नीसा बैठी हुई थी जो अपने पिता की यह हालत देखकर बहुत ही ज्यादा उदास थी।
औरंगजेब की आखिरी रात (Aurangzeb Ki Aakhri Raat) उसकी खासी एक पल के लिए भी नहीं रुक रही थी वह बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया था उसने अपनी बेटी जीनत से कहा कि यह खांसी की नहीं मेरी मौत की आवाज है। यह आवाज मेरे सल्तनत के उखड़ने की है जिसे अब कोई नहीं रोक सकता। जीनत अपने पिता को बहुत ही ज्यादा दिलासा दे रही थी परंतु वह असफल थी। अपने जीवन की आखिरी रात औरंगजेब एक-एक करके अपने जीवन की सारी घटनाएं याद करता है जिसे करते समय उसने एक पल भी नहीं सोचा।
उसके द्वारा की गई सारी घटनाओं ने ही आज उसकी ऐसी दशा बना दी है उसे याद आता है कि कैसे उसने संभाजी का वध किया था, मराठों की हिम्मत पस्त करने के लिए उसने क्या कुछ नहीं किया, इस्लाम का नाम हमेशा दुनिया में आबाद रहे इसके लिए उसने कितनी कारवाइयां की थी उसे एक-एक करके सब याद आ रहा था। वह अपने दिल को तसल्ली दे रहा था कि उसने यह सब इस्लाम के लिए किया है, मजहब के नाम पर किया है।
लेकिन आज उसकी आखिरी समय में उसे सुनने को मिलता है कि तूने इस्लाम को धोखा दिया है, इस्लाम का नाम लेकर तूने दुनिया को धोखा दिया है। औरंगजेब (Aurangzeb Ki Mrityu Kab Hui) को लग रहा था कि उसके दर्द और पीड़ा का सबसे बड़ा कारण यही है। औरंगजेब को याद आ रहा था कि कैसे उसने सिक्खों का शौर्य और निछावरी आजार, शाहजहाँ को नजरबन्द करना, दारा, शुजा और मुराद के हक को छिन लिया था। यह सब औरंगजेब ने सल्तनत बचाने के लिए किया था और इस्लाम के नाम पर किया था जो आज याद आ रहा था।
औरंगजेब ताजमहल की तरफ देखकर निराशा से शाहजहां को याद कर रहा था क्योंकि उसी ने शाहजहां के महल को कैद में रखा था तब शाहजहां ने कहा था कि “क्या आलमगीर तक को तो कैद नहीं करोगे? काश! मैं आज अपने आंसू से ताज बनवा पाता।” शाहजहां मोहम्मद के जुबान से निकले यह शब्द आलमगीर को काफी ज्यादा पीड़ा दे रहे थे। औरंगजेब इसलिए निराश था क्योंकि उसने अपने पिता शाहजहां के विश्वास को कभी नहीं जीता था। शाहजहां की चीख से आज औरंगजेब की कान फट रही थी औ वह खुद पर काबू नहीं रख पा रहा था।
बीमार पड़ी अवस्था में औरंगजेब घुटने के बल बैठ जाता है फिर हाथ जोड़कर गिडगिडाते हुए कहता है कि उसे शाहजहां दिखाई दे रहे हैं जो औरंगजेब से कह रहे हैं की “आलमगीर तुम मुझे मेरा बेटा औरंगजेब वापस कर दो बादशाही लिबास पहन कर तुमने हमारे बेटे को बदल दिया है।” अपने पिता को कैद करके रखने की वजह से आज औरंगजेब को काफी ज्यादा पीड़ा हो रही है। उसे अपना बचपन याद आता है फिर अपने पिता की आवाज सुनते ही वह अपना कान बंद कर लेता है।
उसे दारा के धड़ से अलग कर दिखाई देता है जो कि लहुलुहान हो चुका था अपने भाई के खून से रंगे हाथों को वह फिर से देखा हैऔर सर पर हाथ रहकर कहता है कि मैं यह गुनाह कैसे कर दिया, मैंने धारा को अपने हाथ से मार दिया। औरंगजेब कहता है कि कोई मुझे हकीम के पास से ऐसी दवा ला दो जो मुझे बेहोश कर दे मुझसे यह सारी चीज बर्दाश्त नहीं हो रही मेरा दम घुट रहा है, मैं छुटकारा पाना चाहता हूं। उसे काफी अफसोस हो रहा था क्योंकि उसने अपने पूरे जीवन में क्रूरता के कारण किसी को अपना नहीं बनाया था।
आज जब मौत करीब आई तब औरंगजेब को अपने बेटे की बेहद याद सता रही थी। वह कहता है मैं इतना बड़ा पापी हूं कि आज मेरा बेटा भी मेरे पास नहीं है उसका अपराध बस यही है कि वह औरंगजेब का बेटा है। जब मैंने अपने बेटे को जन्म था तब हजारों लोग मेरे आस-पास थे पर आज मेरी जीवन के आखिरी पल में कोई भी मेरे पास नहीं है। आज उसे अपने द्वारा किए गए सारे अध्याय याद आ रहे थे। उसे अपना भाई मुरादबख्श याद आ रहा था जिसने औरंगजेब को राजा राम सिंह के भयंकर वार से बचाया था पर बदले में मुराद को औरंगजेब से मौत मिली थी।
जब हजारों हिंदू ‘जजिया’ माफ करने की मांग करने आए थे तब औरंगजेब ने हजारों हिंदुओं पर हाथी चलवा दिया था आज वही हाथी औरंगजेब के कालेजे को चूर-चूर कर रहे थे। औरंगजेब की बेटी जीनत उसे बार-बार दवा खाने के लिए कह रही थी पर वह कहता है की दवा मत दो दुआ करो मेरे लिए दुआ से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उसे बार-बार अपना मौत करीब नज़र आ रहा था। वह चिखते हुए कातिब को बुलाता है और उससे अपने बेटे के लिए खत लिखवाता है।
वह कहता है कि तुम मेरे जीवन भर के कुकर्मों को इस पर लिखकर मेरे पछतावा को बयान करो और मेरे बेटे को सीधे राह पर चलने की हिदायतें और नसीहत दो। वह अपनी मौत के समय अपनी बेटी जीनत से कहता है कि मेरे मरने के बाद मेरे शरीर को बिना किसी कफन या ताबूत के जमीन में दफना देना।
जिस दिन मेरे कब्र की मिट्टी पर हरियाली छा जाएगी उस दिन मुझे खुशी मिलेगी। मैंने बहुत सारे पाप किए हैं और आज मुझे उन गुनाहों की ही सजा मिल रही है मैं अपने अपराधों की अब क्षमा चाहता हूं। आलमगीर, दारा, शुजा, मुराद के नाम लेते हुए जान के अल्लाह को हक देते हुए अल्लाह अल्लाह दुहराते हुए औरंगजेब (Aurangzeb ki mrityu kaise hui thi) दुनिया को अलविदा कहा जाता है।
Aurangzeb Ki Kahani | औरंगजेब की कहानी
Aurangzeb Ki Kahani: भारत में कई सौ वर्षो से राज करने वाला मुगल वंश भारत के इतिहास में राजवंशों में से एक था। भारत के इस वंश की शुरुआत 1526 में हुई थी। कुछ वर्ष बाद मुगल वंश की शुरुआत करने वाले की मृत्यु हो गई। भारत में कई वर्षों तक मुगल शासन करता रहा उसकी मृत्यु के बाद हुमायूं ने मुगल साम्राज्य को बढ़ाया। जैसा कि मैंने आप सभी को बताया औरंगजेब (Aurangzeb ki photo) मुगल वंश का छठा सम्राट था। अकबर की मृत्यु (Aurangzeb ki mrityu kab hui) के बाद औरंगजेब को ही अधिक समय तक शासन करने वाला मुगल माना गया।
औरंगजेब (Aurangzeb ki history) शाहजहां और मुमताज का सबसे बड़ा बेटा था उसके अलावा उसके तीन और भाई थे जिनका नाम दारा शिकोह, शुजा और मुराद था। औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को दाहोद गुजरात में हुआ था। मुगल वंश का छठ सम्राट होने के बावजूद उसने अपनी अलग ही पहचान बनाई थी। औरंगजेब को आलमगीर इसलिए कहा जाता था क्योंकि आलमगीर का अर्थ होता है दुनिया का विजेता अर्थात दुनिया को जीतने वाला। औरंगजेब (Aurangzeb ki kahani) द्वारा किए गए जुल्म से आप सब तो वाकिफ ही होंगे उसे दुनिया का सबसे क्रूर शासक माना जाता था।
Aurangzeb Ki Mrityu Kaise Hui | औरंगजेब की मृत्यु कैसे हुई?
Aurangzeb ki mrityu kaise hui: औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में हुई थी। जब उसकी मृत्यु (Aurangzeb ki mrityu kab hui) हुई वह 89 वर्ष का था। उसे किसी ने मारा नहीं था बल्कि उसकी मृत्यु बीमारी से हुई थी। औरंगजेब ने 21वीं सदी में शासन किया था। वह एक ध्रुवीकरण करने वाला व्यक्ति था उसने एक ओर हिंदुओं पर अत्याचार किया था और दूसरी और मुगल साम्राज्य को बढ़ाया था। वह चाहता था कि इस्लाम हमेशा अमर रहे।
अपने मृत्यु (Aurangzeb ki mrutyu kaise hui) के समय औरंगजेब ने अपनी गलतियों का पछतावा करते हुए एक खत अपने बेटे ‘आजम शाह’ और ‘काम बख्श’ के नाम लिखा जिसमें उसने अपने द्वारा की सारी पापों का पश्चाताप लिखा। उसने अपने खत में लिखा कि उसे लगता है कि यह सारी उसके पाप के दंड है जिसे वह अपने जीवन की सबसे बड़ी असफलता मानता है।
वह अपने बेटे को उस खत के जरिए सही राह पर चलने की हिनायत दी। औरंगजेब की मृत्यु (Aurangzeb ki maut kaise hui) भारत के अहमदनगर में हुई थी उसकी इच्छा थी कि उसके लिए कोई बड़ा सा कब्र ना बनाया जाए और उसकी इच्छा के अनुसार उसे भारत के खुल्दाबाद में एक छोटा सा कब्र में दफना दिया जाए। औरंगजेब चाहता था कि वह खुली जगह पर रहे जहां हरी घास निकल पाए और जहां पेड़ पौधे निकाल पाए।
Aurangzeb Ki Mrutyu Kahan Hui Thi | औरंगजेब की मृत्यु कहां हुई थी?
Aurangzeb Ki Mrutyu Kahan Hui Thi: मुगल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली और क्रूर सम्राट औरंगजेब की मृत्यु (Aurangzeb ki mrutyu) अहमदनगर में हुई थी। इतिहास के अनुसारऔरंगजेब ने 50 वर्षों तक शासन किया था इसके बाद 3 मार्च 1707 ईस्वी में उसकी मृत्यु (Aurangzeb ki mrityu kab hui thi) हो गई थी। इतिहास के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि औरंगजेब की मृत्यु (Aurangzeb ki mrityu kaise hui thi) बुन्देलखंड के वीर छत्रसाल के द्वारा हुई कि युद्ध में हुई थी। असल में, औरंगजेब की मृत्यु के 3 महीने पहले, बुन्देलखंड के वीर छत्रसाल से उसका बहुत बड़ा युद्ध हुआ था।
उस युद्ध के दौरान बुंदेलखंड साम्राज्य की महाराज वीर छत्रसाल ने औरंगजेब के शरीर पर तलवार से घाव कर दिया था। इसके बाद औरंगज़ेब 3 महीने तक बिस्तर पर तड़पता रहा और इसी तरह तड़प तड़प कर 1707 ईस्वी में उसकी मृत्यु (Aurangzeb Ki Mrutyu Kahan Hui Thi) हो गई। औरंगजेब की मृत्यु के बाद उन्हें महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में खुल्दाबाद के एक मकबरे में दफनाया गया था।
इतिहास में लिखा गया है कि इस मकबरे को पहले कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया था ताकि औरंगजेब को उनकी इच्छा के अनुसार दफनाया जाए। लेकिन इतिहास का ऐसा भी मानना है कि 1904 में जब लॉर्ड कर्जन भारत आए तो उन्होंने मकबरे को साधारण रूप में देखकर निराशा जताई और उसे चारों तरफ से संगमरमर की दीवार से घेर दिया। बस इतना ही नहीं उन्होंने वहां संगमरमर पर (Aurangzeb ka pura naam kya tha) औरंगजेब का पूरा नाम ‘अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब’ लिखवा दिया।
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निष्कर्ष
उम्मीद है आपको हमारी पोस्ट में औरंगजेब की मृत्यु कब हुई (Aurangzeb ki mrityu kab hui), औरंगजेब की पत्नी का क्या नाम था (Aurangzeb Ki Patni Ka Naam), औरंगजेब की आखिरी रात (Aurangzeb ki aakhri raat), औरंगजेब की कहानी (Aurangzeb ki kahani), औरंगजेब की मृत्यु कैसे हुई (Aurangzeb Ki Mrityu Kaise Hui) तथा औरंगजेब की मृत्यु कहां हुई (Aurangzeb Ki Mrutyu Kahan Hui Thi) की सारी जानकारी मिली होगी। ऐसे ही और जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट infoinhindi.in के साथ जुड़े रहें। धन्यवाद।