Bhagat Singh Speech In Hindi: सरदार भगत सिंह का नाम आखिर किसने नहीं सुना होगा? जब भी किसी शाहिद की बात आती है तो सरदार भगत सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1960 को पंजाब के एक जिले लायलपुर मेंबाग गांव में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान के हिस्से में है।
(Bhagat Singh speech in Hindi) भगत सिंह एक सिख परिवार से थे और उनके परिवार देशभक्त था जिसका प्रभाव उन पर पूरे तरीके से पड़ा था। (Speech on Bhagat Singh in hindi) सरदार भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था और उनकी माता का नाम विद्यावती कौर था।
Bhagat Singh Speech In Hindi 10 Lines|भगत सिंह पर भाषण
(Bhagat Singh pe speech in Hindi) भगत सिंह का जब जन्म हुआ था तब उनके पिता के साथ उनके दो चाचा अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जेल में बंद थे उनके चाचा का नाम अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह था। भगत सिंह के जन्म के दिन उनके चाचा और पिता को जेल से निकाल दिया गया था। वो दिन भगत सिंह (Bhagat Singh par speech in hindi) के घर में खुशियों की सौगात लेकर आई थी। आप सबको हैरानी होगी यह जानकर की भगत सिंह के जन्म के बाद ही उनकी दादी ने उनका नाम ‘भागो वाला’ रख दिया था क्योंकि वह अपने साथ बहुत ही अच्छे भाग्य लेकर आए थे।
भगत सिंह अपनी आयु के 14 वर्ष से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में काम करने लगे थे। भगत सिंह (Bhagat Singh par speech) ने डी.ए.वी. स्कूल से अपनी नौवीं परीक्षा पास की थी। 1923 में जब उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी तब उनके शादी की बात चलने लगी थी इसके तुरंत बाद वह लाहौर से भाग गए और कानपुर में आकर रहने लगे। उसके बाद उन्होंने देश की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया और पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया।
Bhagat Singh Jayanti Kab Hoti Hai|भगत सिंह जयंती कब होती है?
(Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह जयंती (Bhagat Singh Jayanti) हमारे भारत देश में हर वर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह की जयंती (Bhagat Singh Jayanti Kab Hoti Hai) के रूप में मनाया जाता है। जैसा कि मैं आप सभी को बताया भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1960 को लायलपुर में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान के हिस्से में पड़ा हुआ है। वह 14 वर्ष की उम्र से ही भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ने का प्रयास करते रहे।
Speech About Bhagat Singh|Bhagat Singh Childhood|भगत सिंह का बचपन कैसा था?
(Speech on Bhagat singh in hindi) भगत सिंह का जब जन्म हुआ था तब उनके परिवार ने भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए भाग लिया हुआ था। उनके चाचा अजीत सिंह और पिता सरदार किशन सिंह दोनों उसे समय के महान व्यक्ति थे जो देश की आजादी के लिए सेनानी में भर्ती हुए थे। उनके पिता और चाचा दोनों ही गांधीवादी दर्शन का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे।
उन दोनों ने अपने आसपास के लोगों को अंग्रेजों के विरोध में खड़े होने के लिए बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए प्रेरित किया यही वजह है कि भगत सिंह भी इसे गहरे प्रभावित हो चुके थे। (Speech of Bhagat Singh) भगत सिंह का जन्म ही राष्ट्रीय देशभक्ति की भावना और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के निश्चय के साथ हुआ था। उनके शरीर के अंदर बह रहे रक्त और सिराओं में देशभक्ति पूरी तरीके से समाहित थी।
Bhagat Singh Ki Siksha Kaisi Thi| भगत सिंह की शिक्षा कैसी थी?
जब महात्मा गांधी ने सरकार द्वारा समर्थित किए जाने वाले संस्थानों के बहिष्कार का आह्वान किया था तब भगत सिंह के पिता ने उनका पूरी तरह से समर्थन किया था। यही वजह था कि (Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह ने अपनी 13 साल की उम्र में ही स्कूल से पढ़ाई करना छोड़ दिया था। लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ना उनका अगला फैसला था उन्होंने अपने कॉलेज में यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलन का अध्ययन किया और बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए थे।
Bhagat Singh Ka Yogdan Bharat Ke Liye Kya Tha|भगत सिंह का भारत देश के लिए क्या योगदान था?
(Speech on Bhagat Singh in Hindi) भगत सिंह ने अपने जीवन में यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलन के बारे में बहुत सारे खत पढ़े थे। जिसका परिणाम यह था कि 1925 में वे उसी से प्रेरित हुए और अपने राष्ट्रीय आंदोलन के समर्थन में उन्होंने युवा भारत (Bhagat Singh Ka Yogdan Bharat Ke Liye kya tha) सभा की स्थापना कराई थी। उसके बाद में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बन गए जहां पर उनकी मुलाकात कुछ प्रसिद्ध क्रांतिकारी से हुई थी। उन क्रांतिकारी में चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु और सुखदेव भी शामिल थे।
(Shaheed Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह ने कीर्ति किस पार्टी की पत्रिकाके बारे में भी लिखना शुरू किया था उस समय उनके माता-पिता चाहते थे कि वह शादी कर ले और अपना घर बसा लें। लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था क्योंकि उनका इरादा अपना पूरा जीवन आज़ादी के संघर्ष के लिए समर्पित करना था। उन्होंने लगातार क्रांतिकारी कार्रवाइयों में भाग ली थी यही कारण था कि वह ब्रिटिश पुलिस के लिए एक चुनौती बन गए थे। यही कारण था कि ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें में 1927 में हिरासत में ले लिया था।
उसके कुछ महीने बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल से रिहा कर दिया पर उन्होंने उसके बाद क्रांतिकारी समाचार पत्र लिखना शुरु कर दिया। भगत सिंह का नाम आज भी एक महान देशभक्त के रूप में लिया जाता है। (Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह ने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जो कि मैं हर वक्त डालने के लिए तैयार रहते थे। उनके वजह से ही पूरे देश में आज भी देशभक्त की भावना जगी रहती है।
हमारे भारत देश का हर व्यक्ति आज भी भगत सिंह का नाम पूरे सम्मान से लेता है। वह हमेशा से अमर भगत सिंह तथा (Shaheed Bhagat Singh speech in hindi) अमर शहीद भगत सिंह के नाम से भारतीयों के दिलों में जिंदा है। भगत सिंह का पूरा परिवार एक सिख परिवार था। भगत सिंह और उनके परिवार ने आर्य समाज के विचार को पूरी तरह से अपना लिया था उनका कहना था कि आर्य समाज व महर्षि दयानंद की विचारधारा का उनके पूरे परिवार पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
Bhagat Singh Short Speech In Hindi|भगत सिंह के लिए भाषण
भगत सिंह (Speech on Bhagat Singh in Hindi) हमेशा से युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श बन रहे हैं क्योंकि उन्होंने आजादी के लिए जिस शहर के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया था वह किसी के लिए भी करना मुश्किल था। भगत सिंह को कई भाषा आती थी जैसे की हिंदी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी और बांग्ला यह सारी भाषा उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी।
जब वह जेल में थे तब उन्होंने कई खत लिखे थे जिससे उनके विचार का अंदाजा काफी आसानी से लगाया जा सकता है। उन्होंने अपने खत में समाज, जाति और धर्म के कारण आई दूरियों पर काफी दुख जताया है। उनका मानना था कि कमजोर वर्ग के साथ भारतीय जो प्रहार कर रहे है वह अंग्रेजो के द्वारा किए गए अत्याचार के बराबर ही है।
उनका मानना था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उग्र हो जाएगी पर जब तक वह जिंदा है ऐसा नहीं होगा इसलिए उन्होंने मौत की सजा सुनने के बाद भी माफीनामा लिखने से मना कर दिया। अमृतसर 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह (Speech About Bhagat Singh) पर इतना बुरा प्रभाव डाला की उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भारत की आजादी के लिए उसी समय नौजवान भारत सभा की स्थापना कर दी।
(Speech of Bhagat Singh) भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद के पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएन को चुन लिया क्योंकि काकोरी कांड में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के समेत 4 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा तथा 16 अन्य लोगों को अंग्रेजों के द्वारा कारावास की सजा सुनाई गई थी और इस घटना से भगत सिंह (Bhagat Singh par speech) काफी बैचेन हो गए थे। चंद्रशेखर आजाद के पार्टी में जुड़ने के बाद भगत सिंह ने उसका नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन‘ रख दिया था।
इस संगठन का उद्देश्य बस सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले युवकों को तैयार करना था ताकि वह देश की आजादी के लिए लड़ सके। 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स को भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर मार डाला। उनकी मृत्यु की कार्रवाई में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने भी उनकी काफी सहायता की।
इसके बाद अलीपुर रोड़ दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 8 अप्रैल 1929 को बम और पर्चे फेंके। उनका मकसद बस अंग्रेजों की सरकार को जगाना था उसके बाद उन्होंने खुद और अपने दोस्त बटुकेश्वर को गिरफ्तारी भी दे दी। फिर 23 मार्च 1931 को ‘लाहौर षडयंत्र’ के मुकदमें में भगत सिंह (Speech on Bhagat Singh in Hindi) को और उनके साथियों समेत राजगुरु तथा सुखदेव को फांसी पर लटका दिया गया था।
लोगों का मानना है कि फांसी लगाने का समय 24 मार्च के सुबह था परन्तु उस समय के सरकार ने लोगों के डर से 23 मार्च के आधी रात को ही इन वीरों को फांसी लगा दी थी। इसके बाद उसी रात अंधेरे में जाकर सतलज किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। 23 मार्च के दिन उनका संसार से विदा लेना एक संयोग ही था क्योंकि जब उन्हें फांसी दी गई थी तब उनकी उम्र 23 वर्ष 5 महिने और 23 दिन थी और फांसी लगने की तारीख भी 23 ही थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अपनी फांसी से पहले (Shaheed Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह ने अंग्रेज़ सरकार को एक खत लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था की अंग्रेजी सरकार के खिलाफ भारतीयों का युद्ध एक प्रतीक है इसलिए इस युद्धबंदी समझा जाए तथा फांसी देने के बजाय भारतीयों को गोली से उड़ा दिया जाए लेकिन अंग्रेज सरकार ने ऐसा नहीं किया। भगत सिंह की मृत्यु से न केवल अपने देश की आजादी के संघर्ष को एक नई दिशा मिली बल्कि हमारे नवयुवकों के लिए भी वह हमेशा से एक प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
वह भारत देश के सारे शहीदों के सिरमौर बन चुके हैं। भारत और पाकिस्तान की जनता आज भी भगत सिंह को आजादी के दीवाने के रूप में जानती है जिसने अपनी जीवनी सहित अपनी सारी जिंदगी देश के लिए समर्पित कर दी थी। अगर आपको पता हो तो उनके जीवन पर आधारित कई हिंदी फिल्में भी बनी हुई है जिनमें से कुछ नाम है द लीजेंड ऑफ भगत सिंह, शाहिद, शहीद भगत सिंह इत्यादि। आज भी हमारा भारत उनके बलिदान को बड़े ही गंभीरता और सम्मान के साथ याद करता है।
Bhagat Singh Par Nibandh|Bhagat Singh Par Speech In Hindi|भगत सिंह पर निबंध
(Speech of Bhagat Singh)भगत सिंह का नाम सबसे महत्वपूर्ण समाजवादी क्रांतिकारी में से एक माना जाता है उनके दादा ने लाहौर में खालसा हाई स्कूल में भाग लेने के सिंह के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। इसकी वजह थी कि ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति उनकी भक्ति नहीं चाहते थे।
आर्य समाज संस्थान में शिक्षा प्राप्त करने के बाद भगत सिंह आर्य समाज सिद्धांत से काफी ज्यादा प्रभावित हो चुके थे। उनके प्रसिद्ध होने का कारण यही था कि वह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ दो हिंसक कृतियों में शामिल हुए थे और इसी वजह से उनकी मृत्यु भी हो चुकी थी।
Bhagat Singh Ki Mrityu|भगत सिंह का देश के लिए बलिदान क्या था?
1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय स्वायत्तता की जांच के लिए साइमन कमीशन की स्थापना की गई थी। इस पैनल में एक भी भारतीय प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था तथा कई राजनीतिक संगठनों द्वारा इसका बहिष्कार भी किया गया था। लाला लाजपत राय ने इसकी खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व किया और साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए लाहौर स्टेशन पर एक मार्च भी किया था।
इसके बाद वहां मौजूद पुलिस ने लाठी चार्ज की थी जिसका परिणाम यह था कि प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीटा गया था। इस लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय को बुरी तरह से घायल कर दिया गया था उसके तुरंत बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और कुछ हफ्ते बाद उनकी मृत्यु हो गई। यह बात जब भगत सिंह (Speech in Hindi on Bhagat Singh) को पता चली तो वह इस घटना से बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गए थें और उन्होंने बदला लेने का फैसला भी किया था।
उनके क्रोध के बाद उन्होंने ब्रिटिश पुलिसकर्मी जॉन पी. सांडर्स की हत्या कर दी और बाद में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर दिल्ली की सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली में बम भी फेंक दिया था। जब कार्यवाही हुई तब भगत सिंह (Bhagat Singh speech in Hindi) ने उसे घटना में अपनी भूमिका को स्वीकार किया और उसके बाद पुलिस ने उन्हें अपने हिरासत में ले लिया था। (Speech About Bhagat Singh) भगत सिंह ने जेल में हो रहे मुकदमे के दौरान भूख हड़ताल का नेतृत्व किया था।
इसके बाद 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और उनके साथियों जिनका नाम राजगुरु और सुखदेव था उन्हें फांसी दे दी गई थी। (Speech of Bhagat Singh in hindi) भगत सिंह को आज भी शहीद भगत सिंह के नाम से जाना जाता है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सुधार लाने के लिए एक भी कसर नहीं छोड़ी थी। उन्हें सारे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारी में से सबसे महान कहा जाता है।
वह अपने लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए पूरी तरीके से समर्पित थे और उनकी दृष्टि बस आजादी दिलाने की थी। 1912 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तब भगत सिंह काफी परेशान हो गए थे। उसे समय उनकी उम्र बस 12 वर्ष की थी और इस घटना ने उनको बड़ा घाव दिया था। वह उसी समय एक मिट्टी की बोतल लाए जो कि पीड़ितों के खून से लिपटी हुई थी और उसकी पूजा करने लगे। फिर उन्होंने राजनीतिक क्रांतियों का निर्माण किया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी इसकी वजह थी समाजवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता।
उनके जीवन का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मोड़ स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की हत्या थी। (Shaheed Bhagat Singh speech in hindi) भगत सिंह कभी अन्य को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे और यही वजह थी कि लाला लाजपत राय की मौत के बाद उन्होंने बदला लेने का फैसला किया था। उसके तुरंत बाद उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या कर दी और सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली में बम फेंक दिया।
Bhagat Singh Speech In Hindi For Students|भगत सिंह पर भाषण में क्या बोलें?
जो भारतवासी न्याय के लिए खड़ा हो सकता है और अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर सकता है उन्हें भगत सिंह के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। (Bhagat Singh Short Speech In Hindi) भगत सिंह ने बहुत ही कम उम्र में अपना पूरा जीवन भारत की आजादी की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी पूरी कहानी एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करती हैजो की कैसी भी परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करने का उदाहरण देती है।
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारी में से भगत सिंह एक महान नाम है। 28 सितंबर 1960 को लायलपुर जिले जो कि अब पाकिस्तान में स्थित है वहां बंगा में (Bhagat Singh Birth) भगत सिंह का जन्म हुआ था। उनके जन्म के समय उनके चाचा सरदार अजीत सिंह और सरदार स्वर्ण सिंह के साथ उनके पिता सरदार किशन सिंह सभी को 1906 के उपनिवेशीकरण विधायक के विरोध में जेल में डाल दिया गया था।
बहुत ही कम उम्र में भगत सिंह ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का समर्थन करना शुरू कर दिया था। भगत सिंह तथा उनके साथी सुखदेव और राजगुरु को लाहौर षड्यंत्र केस में दोषी ठहराया गया और फिर 23 मार्च 1931 को उनके साथियों के सहित तीनों महान स्वतंत्रता सेनानी को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।
(Speech in Hindi on Bhagat Singh) भगत सिंह द्वारा दी गई इस बलिदान ने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए और भी ज्यादा प्रेरित कर दिया। यही वजह है कि भगत सिंह आज भी भारत के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। भगत सिंह की जयंती (Bhagat Singh Jayanti) यानी की 28 सितंबर को उन्हें आज भी नमन किया जाता है और देश के लिए उनके बलिदान को आज भी याद किया जाता है। भगत सिंह के साथ मैं अपने इस भाषण को विराम देता/देती हूँ। धन्यवाद।
Bhagat Singh Interesting Facts|भगत सिंह से जुड़े जरूरी तथ्य
(Interesting facts about Bhagat Singh) भगत सिंह से जुड़े रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं:-
भगत सिंह (Speech on Bhagat Singh in Hindi) ने अपने स्कूल शिक्षा को दयानंद एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल से कि और फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज से अपनी पढ़ाई समाप्त की।
भगत सिंह (Bhagat Singh speech in Hindi) ने अपने शुरुआती दिनों में महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय अहिंसा के आदर्शों के अनुयायी बने थे।
वह मार्क्सवादी विचारधाराओं से प्रभावित थे क्योंकि क्रांतिकारी विचारों ने उन्हें बढ़ावा दिया था।
उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से मार्च 1926 में समाजवादी संगठन नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।
1927 में भगत सिंह (speech of Bhagat Singh in hindi) को ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उन पर 1926 में लाहौर बम विस्फोट मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था और 5 हफ्ते के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
उन्होंने 1928 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया था जो कि बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के नाम से जाना गया।
23 मार्च 1931 को भगत सिंह (Bhagat Singh par speech) को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई थी। 23 मार्च के दिन तीनों महान पुरुषों को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘शहीद दिवस‘ मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि कोई भी मजिस्ट्रेट फांसी की निगरानी करने के लिए तैयार नहीं था। मूल मृत्यु वारंट समाप्त होने के बाद यह एक मानद न्यायाधीश था जिसे हस्ताक्षर किए और फांसी की निगरानी भी की।
निशकर्ष
उम्मीद है कि आपको मेरी यह पोस्ट भगत सिंह पर भाषण (Speech on bhagat Singh in Hindi) काफी अच्छी लगी होगी और आपको अच्छी जानकारी भी मिली होगी। यहां केवल आपको भगत सिंह के भाषण (Bhagat Singh speech in hindi) को अच्छी तरीके से जानने में मदद करेगी बल्कि देशभक्ति की भावना आपके दिल में जागने में भी मदद करेगी। आपको अगर यह मेरी पोस्ट अच्छी लगी है तो प्लीज इसे आगे शेयर करें।
FAQ|पूछे जाने वाले प्रश्न
1. भगत सिंह (Bhagat Singh par speech) का प्रसिद्ध नारा क्या है?
भगत सिंह का प्रसिद्ध नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद‘ था इसका मतलब था की ‘क्रांति की जय हो‘।
2. भगत सिंह ने कितने नारे दिए थे?
भगत सिंह के द्वारा दिए गए 10 नारे इस प्रकार हैं:-
- इंकलाब जिंदाबाद।
- साम्राज्यवाद का नाश हो।
- मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
- प्रेमी, पागल और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
- मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।
- आलोचना और स्वतंत्रत सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण है।
- जिंदा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।
- जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
- मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।
3. भगत सिंह क्यों प्रसिद्ध है?
भगत सिंह इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों से जमकर टक्कर ली थी।
4. भगत सिंह को फांसी कौन दिया था?
भगत सिंह को फांसी सीनियर जेल वार्डन ‘छतर सिंह‘ ने दिया था।
5. भगत सिंह के गुरु का क्या नाम था?
भगत सिंह के गुरु का नाम ‘करतार सिंह सराभा‘ था।
6. भगत सिंह की आखिरी इच्छा क्या थी?
भगत सिंह की आखिरी इच्छा घर का खाना खाना था जो कि उन्होंने अपने सफाई कर्मचारी बेबी को पूरा करने को कहा था परंतु बेबे उनकी आखिरी इच्छा पूरी न कर सका। वजह यह थी कि उन्हें समय से पहले फांसी दे देने का फैसला सुना दिया गया था और बेबे को जेल में घुसने से मना किया गया था।