Vidyarthi Jeevan Aur Anushasan Par Nibandh: मनुष्य के जीवन में हर समय अनुशासन जरूरी है ठीक उसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन (Vidyarthi aur anushasan ka mahatva) बहुत ही जरूरी होता है। अगर किसी विद्यार्थी में अनुशासन (Vidyarthi aur anushasan) हो तो वह एक आदर्श छात्र माना जाता है। आज के भारत में हम जानेंगे विद्यार्थी जीवन और अनुशासन पर निबंध (Vidyarthi Jivan aur Anushasan par nibandh), अगर आप विद्यार्थी हैं या विद्यार्थी के माता-पिता या गुरु तो आपको हमारी या पोस्ट जरूर पढ़नी चाहिए।
Vidyarthi Jeevan Aur Anushasan Par Nibandh | विद्यार्थी जीवन और अनुशासन पर निबंध
परिचय
Vidyarthi Jeevan Aur Anushasan Par Nibandh: अनुशासन किसे कहते हैं (Anushasan kise kehte hain) तथा अनुशासन क्या है (Anushasan kya hai)? अगर कोई व्यक्ति या विद्यार्थी माता-पिता तथा गुरुजनों की आज्ञा हमेशा मानता है तो उसे अनुशासन कहा जाता है। अनुशासन का अर्थ होता है शासन के पीछे चलना तथा गुरुजनों और अपने पथ प्रदर्शकों के बताए पथ पर चलना। माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा का पालन करना ही अनुशासन कहलाता है।
(Vidyarthi Jeevan Aur Anushasan Par Nibandh) अनुशासन हर विद्यार्थी के जीवन का प्राण होना चाहिए। जिस विद्यार्थी में अनुशासन ना हो वह देश का कभी विकास नहीं कर सकता और ना अपने व्यक्तिगत जीवन (vidyarthi aur anushasan par nibandh) में भी सफल हो सकता है। वैसे तो अगर हम अनुशासन की बात करें तो वह जीवन के हर क्षेत्र में काफी आवश्यक है परंतु विद्यार्थी जीवन के लिए यह सफलता की केवल एक ही कुंजी है।
प्रस्तावना
विद्यार्थी का जीवन (Vidyarthi jeevan mein anushasan) हर व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। यह हमें ऐसा अवसर प्रदान करता है जिसकी यदि अच्छे से उपयोग किया जाए तो निश्चय ही हर एक व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होगा। अगर आपके मन में यह प्रश्न है कि विद्यार्थी के जीवन को हम किस प्रकार से व्यवस्थित और आदर्श बन सकते हैं? तो हम आपको बता दे कि जिस प्रकार से कुछ भी बड़ा करने के लिए तथा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए लगन और मेहनत की जरूरत होती है।
इस तरह (vidyarthi or anushasan par nibandh) विद्यार्थी जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने में भी प्रयास काफी आवश्यक है। हमारे द्वारा कोई भी प्रयास या कार्य तभी सफल हो पता है जब उसे सही ढंग से और उसे कार्य के लिए सही नियम का पालन किया जाए। हर एक विद्यार्थी के जीवन पर यह लागू होना चाहिए कि हमारे भारतीय संस्कृति में आदर्श नियम जो भी बताए गए हैं।
हमारे माता-पिता, गुरुजनों द्वारा समय-समय पर जो भी पथ दिखाए गए हैं उस पर विद्यार्थी को चलना ही चाहिए। अगर हमारे बड़े बुजुर्गों गुरुजनों द्वारा दी गई शिक्षा अनुशासन का पालन करें तो अनुशासन से विद्यार्थी जीवन को आसानी से सफल बनाया जा सकता है। अगर हम आपको दूसरे शब्दों में समझाएं तो हम ऐसा कह सकते हैं कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का सबसे बड़ा महत्व माना गया है।
विद्यार्थी जीवन का प्रारंभ
हम सभी को पता है कि एक छोटे से बच्चों के लिए परिवार ही उसका सबसे प्रथम गुरु होता है। हमारे घर के बड़े बुजुर्ग एवं उसके माता-पिता तथा आसपास के लोग ही बच्चों के लिए पाठशाला के समान होते हैं। हम कह सकते हैं की एक विद्यार्थी के जीवन (anushasan par nibandh hindi mein) में सीखने की प्रक्रिया इस समय शुरू हो जाती है जब वह बहुत ही छोटी शिशु की अवस्था में होता है।
एक छोटे से बच्चे की मां उसे मां शब्द का उच्चारण सिखलाती है और उसे कहती है कि वह उसे मां कहकर ही बुलाए। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है वह अपने घर परिवार तथा बाहर खेल दूसरे लोगों से और कुछ बोलने का तरीका सीखता है। बचपन में जब बालक ना समझ होते हैं तब वह कुछ समझ नहीं पाए अपने बड़ों की बात वह सबसे पहले मानते हैं और उनके बताएं रास्ते पर ही चलते हैं।
जब वह बच्चे ना समझ होते हैं तब वह अनजाने में ही अनुशासन का अच्छे से पालन करते हैं। अगर हम खाली दिमाग से सोच तो हम ऐसा पाएंगे कि कोई बच्चा अगर अपने बचपन में ही सही व्यवहार ना सीखें उनके बड़े-बुजुर्ग उन्हें सही शिक्षा ना दे पाए तो हम सोच सकते हैं कि बच्चे का समझदार होना कितना ही मुश्किल होगा। यह बेहद जरूरी है कि हम बच्चे को अनुशासन का पालन करना बचपन में ही सिखाएं।
Vidyarthi Aur Anushasan Ka Mahatva | विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व
Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva: जैसा कि मैंने आप सभी को बताया कि विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन (chatra aur anushasan par nibandh) का बहुत ही बड़ा महत्व होता है। एक विद्यार्थी को हर सुबह जल्दी जग जाना चाहिए और अपने बड़ों का आदर-सम्मान करना चाहिए। उसे अपने जीवन का ज्यादा समय पढ़ाई में लगाना चाहिए। एक विद्यार्थी को कभी भी झूठ बोलना नहीं आना चाहिए ना हीं कभी धोखा देना आना चाहिए।
विद्यार्थी को अपने जीवन में किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए, हमेशा शांत रहना चाहिए। हमारे छात्र तथा हमारी विद्यार्थी ही देश का भविष्य होते हैं इसलिए उन्हें सही तरीके से अनुशासित होना ही चाहिए। हम देख सकते हैं कि आज जितने भी महान व्यक्ति हैं सबके जीवन में अनुशासन है। अगर किसी व्यक्ति की जीवन में अनुशासन (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva) नहीं है तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता।
अनुशासन ही हमें आगे बढ़ने का मौका देता है, हमें सही तरीका सीखना है, जीवन में नई चीजों को सिखने में मदद करता है, कम समय में ज्यादा अनुभव करता है इत्यादि। अगर हमारे जीवन में अनुशासन की कमी हो तो बहुत ही ज्यादा भ्रम और विकार पैदा हो जाते हैं। अगर अनुशासन जीवन (chatra anushasan par nibandh) में ना हो तो कोई शांति नहीं मिलती और ना ही प्रगति होती है। अनुशासनहीन व्यक्ति कभी जीवन में सफल नहीं हो सकता और वह जीवन में निराश होकर गलत कदम उठाने लगता है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की भूमिका
कोई भी विद्यार्थी जब बचपन में पहली बार विद्यालय जाना शुरु करता है तो वहां उसे शिक्षक सही तरीके से बैठना, बोलना तथा सही तरीके से खड़ा होना सीखाते हैं। विद्यार्थी को स्कूल में सिखाया जाता है कि वह सही तरीके से कैसे व्यवहार कर सकते हैं। (vidyarthi jeevan mein anushasan par nibandh) विद्यार्थी को बचपन में ही सिखाया जाता है कि वह सही नागरिक कैसे बन सकते हैं।
विद्यार्थी के मन में बचपन से ही सही विचार तथा अनुशासन डाले जाते है। विद्यार्थी को छोटे से उम्र से ही भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है और उसे सही ढंग से लिखना पढ़ना आता है। बस इतना ही नहीं वह पढ़ने लिखने के साथ-साथ शिक्षकों की बात सुनना और उनके आदेश अनुसार सही काम करना सिखते हैं तथा प्रारंभिक शैक्षणिक अनुशासन में रहते हैं।
आप सब ने देखा होगा कि विद्यार्थी अपने शिक्षकों की बात को ध्यान से सुनते हैं और उनकी कहानी-कहानी हर आज्ञा का पालन करते हैं। इसका कारण यह है कि विद्यार्थी के सीखने की क्षमता ज्यादा होती है और वह हर चीज को ध्यान से तथा अच्छे से सीख पाता है। इसलिए हमें हमारे बच्चों को शुरुआती जीवन से ही अनुशासन सीखना चाहिए तभी वह विकास के रास्ते पर बढ़ सकता है।
विद्यार्थी जीवन की व्यापकता एवं उसमें अनुशासन का समावेश
अगर हम आम तौर पर बात करें तो किसी विद्यार्थी का जीवन स्कूल और कॉलेज की शिक्षा तक ही सीमित रहता है। जिस प्रकार सीखने का कोई उम्र नहीं होता उसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन को विस्तार से बढ़ाने का भी कोई समय नहीं होता है। अगर हम पुराने समय के महान व्यक्तियों की बात करें तो उस समय शिक्षा प्राप्त करके महान उपलब्धियां हासिल करने के साथ-साथ उन्हें बाहर से भी शिक्षा प्राप्त होती थी।
हमारे देश के वैज्ञानिक पूरे जीवन अध्ययन करते हैं और अध्ययन के आधार पर ही बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित करता है। हम ऐसा कह सकते हैं कि वैज्ञानिक भी अपनी जीवन में अनुशासन (anushasan par nibandh likhiye) का पालन करते हैं क्योंकि वह भी निरंतर शिक्षा और अध्ययन का प्रयास करते रहते हैं जिसकी वजह से उन्हें सफलता प्राप्त होती है और वह सभी को प्रेरित भी करती है।
दूषित वातावरण का प्रभाव | विद्यार्थी के जीवन में दूषित वातावरण का प्रभाव
बिना किसी संकोच के हमें यह बात माननी ही पड़ेगी कि आज के स्वार्थ पूर्ण जीवन के वातावरण में विद्यार्थी कभी शांत नहीं रहता है क्योंकि विद्यार्थी के आसपास चल रहे भाग दौड़ वाला वातावरण उन्हें शांत नहीं रहने देता। आसपास के वातावरण को देखकर हर विद्यार्थी अन्याय के तरफ खिंचा चला जाता है।
जिस तरह से अग्नि, जल और अणुशवक्ति का रचनात्मक और विध्वंसात्मक, दोनों रूपों से प्रयोग संभव है ठीक उसी प्रकार से विद्यार्थी के गर्म खून को रचनात्मक दिशा देना भी काफी आवश्यक है। परंतु यह सब तभी संभव हो सकता है जब प्राचीन काल के गुरुकुलों का वातावरण शांत हो चाणक्य जैसे स्वाभिमानी, स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विरजानंद सदृश तपस्वी जैसे गुरु मौजूद हो।
उपसंहार
पुराने समय से ही अब तक मानव सभ्यता ने जो भी उपलब्धियां प्राप्त की है चाहे उपलब्धियां चिकित्सा जगत में हो, सूचना में हो, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो, या फिर खेती में हो, खगोल शास्त्र में हो या विज्ञान में हो हर चीज की नीं वबचपन की उम्र से ही रख दी जाती है। ऐसा नहीं है कि नहीं वैसे ही रखा गया है बल्कि अनुशासन (vidyarthi jeevan aur anushasan par nibandh) की मदद से ही रखा गया है।
किसी भी विद्यार्थी के जीवन के दौरान प्राप्त हुई शिक्षा और अनुशासन के पालन से भविष्य में इंसान एक सफल व्यक्ति बन पाता है। अगर हम सफल व्यक्ति की बात करें तो वह चाहे सचिन तेंदुलकर हो या हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम इन सभी ने एक अनुशासित विद्यार्थी जीवन के क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल की है।
अगर कोई विद्यार्थी अनुशासित है तो वह जरूर सभ्य नागरिक बनता है इसकी वजह से समाज और देश का निर्माण आसानी से हो सकता है। मनुष्य के जीवन में हर पक्ष में अनुशासन आवश्यक है परंतु विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व (vidyarthi aur anushasan ka mahatva) सबसे ज्यादा काफी होता है क्योंकि यही वह समय है जो हमारे तथा हमारे देश के भविष्य का निर्माण करता है।
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निष्कर्ष
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी आज की पोस्ट विद्यार्थी जीवन और अनुशासन पर निबंध (vidyarthi jeevan aur anushasan par nibandh) तथा विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व (Vidyarthi aur anushasan ka mahatva) काफी ज्यादा पसंद आया होगा। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि अगर कोई विद्यार्थी अनुशासन (Vidyarthi Jivan aur Anushasan par nibandh) के रास्ते पर चले तो वह कभी हार नहीं सकता। ऐसे ही निबंध, भाषण, साहित्यिक परिचय तथा और जानकारी के लिए वेबसाइट infoinhindi.in के साथ बने रहे।